शायरी की दुकान खोलो तो शायरी की बारिश सोच कर देखो तो शायराना झोंक ना जाने कब क्या लिख जाए भला कौन इसे बदल सके इक रूप को बदले तो दूसरा नया बन जाए। Dedicating a #testimonial to Mɽ BhÃtï #qutodidi