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दोहरा मिजाज पसंद नहीं, ये आदत नहीं, मजबूरी है मेरी

दोहरा मिजाज पसंद नहीं, ये आदत नहीं, मजबूरी है मेरी। 
क्योंकि खुद को और गैरो को धोखे में रखने की चाह नहीं मेरी l
इसलिए जो जैसा है,उस से वैसे ही पेश आती हूं,
और सामने वाले से भी यही चाहती हूं।

लेकिन इस समाज की एक खूबी है, 
दोहरा चरित्र ही व्यवहार कुशलता का कुंजी है।

©Dr.Khushboo
  #Khubi