सच रहता हैं हर वक्त बस डरा डरा सा, अकेला और कमजोर महसूस करता हैं। झूठ बैखोफ होकर घूमता हैं, बताओ सच को कौन महफूज करता हैं।। यहां झूठ को भी सभी सच का नाम दिये जाते हैं। सभी झूठ के पहरेदार कहां सच का साथ निभाते हैं।। कितना भी डराओ और धमकाओ। तुम चाहे उसके सर पे चढ़ जाओ।। वो संघर्ष कभी भी नहीं छोड़ता। वो अपना पथ कभी नहीं छोड़ता।। घनघोर अंधेरों में भी सच के दिये जल जाते हैं। सभी झूठ के पहरेदार कहां सच का साथ निभाते हैं।। ©kvi Purushottam Sharma Akash shri vastav