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वैसे किसी को ज्ञान की बातें अच्छी लगती नहीं,, सब अ

वैसे किसी को ज्ञान की बातें अच्छी लगती नहीं,,
सब अपने ही एक्सपीरियंस पर चलते है,,
पर फिर भी चलते फिरते एक ज्ञान बांट दू,,,, कभी-कभी हम अपनी छोटे-छोटे कर्मों से भी बहुत बड़े पाप कर देते हैं।
जैसे घर में कभी कांच फूट जाए तो उसे खुले में फेंक देना
अगर वह कांच किसी को चुभ गया है या किसी का पैर कट गया है किसी जानवर का नुकसान हो गया जो उस वक्त उसको कराहा निकलेगी
या दर्द उठेगा तो वह इनडायरेक्टली तुम तक पहुंच जाएगा
यह बुरा कर्म हुआ।

कभी कचरे को खुलेआम फेंक देना और पन्नी मैं खाना बंद करके खुलेआम फेंक देना
 उस खाने को गाय पन्नी समेत खा जाती है वह बेचारी अबोध वह अनजाने में ही पन्नी को पेट में डालती है जो पन्नी कभी पचती नहीं और
वैसे किसी को ज्ञान की बातें अच्छी लगती नहीं,,
सब अपने ही एक्सपीरियंस पर चलते है,,
पर फिर भी चलते फिरते एक ज्ञान बांट दू,,,, कभी-कभी हम अपनी छोटे-छोटे कर्मों से भी बहुत बड़े पाप कर देते हैं।
जैसे घर में कभी कांच फूट जाए तो उसे खुले में फेंक देना
अगर वह कांच किसी को चुभ गया है या किसी का पैर कट गया है किसी जानवर का नुकसान हो गया जो उस वक्त उसको कराहा निकलेगी
या दर्द उठेगा तो वह इनडायरेक्टली तुम तक पहुंच जाएगा
यह बुरा कर्म हुआ।

कभी कचरे को खुलेआम फेंक देना और पन्नी मैं खाना बंद करके खुलेआम फेंक देना
 उस खाने को गाय पन्नी समेत खा जाती है वह बेचारी अबोध वह अनजाने में ही पन्नी को पेट में डालती है जो पन्नी कभी पचती नहीं और
vandana6771

Vandana

New Creator

कभी-कभी हम अपनी छोटे-छोटे कर्मों से भी बहुत बड़े पाप कर देते हैं। जैसे घर में कभी कांच फूट जाए तो उसे खुले में फेंक देना अगर वह कांच किसी को चुभ गया है या किसी का पैर कट गया है किसी जानवर का नुकसान हो गया जो उस वक्त उसको कराहा निकलेगी या दर्द उठेगा तो वह इनडायरेक्टली तुम तक पहुंच जाएगा यह बुरा कर्म हुआ। कभी कचरे को खुलेआम फेंक देना और पन्नी मैं खाना बंद करके खुलेआम फेंक देना उस खाने को गाय पन्नी समेत खा जाती है वह बेचारी अबोध वह अनजाने में ही पन्नी को पेट में डालती है जो पन्नी कभी पचती नहीं और #पुण्य #बुरे_है_कर्म