शराब जानाँ तेरे जाने के बाद शराब पीकर! खूब हुए हैं हम बर्बाद शराब पीकर! अंजाम ए मयक़शी से वाक़िफ़ थे हम! हुआ नहीं कोई भी आबाद शराब पीकर! साथ हरिक जाम के चढ़ता गया तेरा ख़ुमार! कि फिर आई तू बेहद याद शराब पीकर! साक़ी का हाथ थाम लिया हिज्र में हमने! ग़म में भी रहा किए हो शाद शराब पीकर! जाता हूँ तन्हा मगर लौटते हैं हम दोनों साथ! कभी न हुए यादों से आज़ाद शराब पीकर! हम बना देते थे मयक़दे को ही बूतख़ाना तब! अब कौन करता है फ़रियाद शराब पीकर! जानाँ तेरे जाने के बाद शराब पीकर! खूब हुए हैं हम बर्बाद शराब पीकर! अंजाम ए मयक़शी से वाक़िफ़ थे हम! हुआ नहीं कोई भी आबाद शराब पीकर! साथ हरिक जाम के चढ़ता गया तेरा ख़ुमार! कि फिर आई तू बेहद याद शराब पीकर!