हदों के उस पार...... ******************* मैं तो आया हूँ कई बार तेरी बनाई हदों के उस पार तुम भी आ जाते एक बार तो मुझे भी अच्छा लगता। मैंने तो वो सभी वादे निभाये हैं जिस-जिस जगह तूने प्रतिबंध लगाए हैं बस तेरा प्रेम पाने की खातिर। तुम भी प्रीत की रीत निभाते एक बार तो मुझे भी अच्छा लगता। क्या बताऊं तकलीफ क्या है हर ज़ख़्म तेरी आबरू का सिलसिला है कि कह भी न सकूं, बता भी न सकूं। कभी तुम मेरी खामोशी पढ़ पाते तो मुझे भी अच्छा लगता। झूठा है ज़रूरत की हद तक तुम्हारा सूफियाना प्यार ये हवाएं बयां करतीं हैं। तेरी बातों में कभी जो मेरा जिक्र आता तो मुझे भी अच्छा लगता। मेरी दीवानगी की पैरहन ओढ़ चुपके से पेशानी का बोसा ले ले और सांस ठहर जाए एक बार। कभी तूँ भी मेरी तरह प्रेम में दीवानी हो जाये तो मुझे भी अच्छा लगता। ©Ankur Mishra #हदों #के #उस #पार...... ******************* मैं तो आया हूँ कई बार तेरी बनाई हदों के उस पार तुम भी आ जाते एक बार तो मुझे भी अच्छा लगता। मैंने तो वो सभी वादे निभाये हैं