कलम से जब लिखती हूँ दिल के कई राज खोलती हूँ अपने दिल की बात मैं लिखते लिखते केह जाती हूँ यहाँ ना झूठा रिश्ता बनाती हूँ कलम थामा और हर एक सच लिख जाती हूँ नहीं जानती इन शब्दों से क्या रिश्ता निभाती हूँ अपने ही दिल की आवाज ,अलफाज बना लेती हूँ ना खुशी छुपाती हूँ ना गम दिल मे दबाती हूँ अपनी तन्हाई मे इन शब्दों को पाती हूँ आखों में आसूँ आऐं तो शब्दों मे छलकाती हूँ कागज पे दिल का हाल कलम से पिरोती हूँ हाँ ,, मैं इन शब्दों से रोज निभाती हूँ ।।। सुप्रभात। 👉👇👇👇👇 मानव का शब्दों से रिश्ता बहुत पुराना है। #शब्दोंसेरिश्ता #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi कलम से जब लिखती हूँ दिल के कई राज खोलती हूँ