Nojoto: Largest Storytelling Platform

ख़्वाबों में खो कर अब हक़ीक़त में लौटना नहीं चाहती

ख़्वाबों में खो कर अब हक़ीक़त में लौटना नहीं चाहती
तुम एक बंजारा थे , मेरे हमदर्द नहीं सच कहूं तो अब
मैं अपने मंजिल को छोड़ना नहीं चाहती........... _________________________________________________

 आदत लगे न लगे किसी की मेरी पर
मैं दर्दों के आलम से गुजरना चाहती हूं
देखो तुम भी मैं खुश नहीं हूं तेरे जाने के बाद भी
मैं दर्दों के आशियां से ख़ुद के लिए अंधेरा ढूंढना चाहती हूं ,,,,,,,,,,,,

✍️✍️✍️
ख़्वाबों में खो कर अब हक़ीक़त में लौटना नहीं चाहती
तुम एक बंजारा थे , मेरे हमदर्द नहीं सच कहूं तो अब
मैं अपने मंजिल को छोड़ना नहीं चाहती........... _________________________________________________

 आदत लगे न लगे किसी की मेरी पर
मैं दर्दों के आलम से गुजरना चाहती हूं
देखो तुम भी मैं खुश नहीं हूं तेरे जाने के बाद भी
मैं दर्दों के आशियां से ख़ुद के लिए अंधेरा ढूंढना चाहती हूं ,,,,,,,,,,,,

✍️✍️✍️