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शीत की ठंडी दोपहर में जब.... सूरज की किरणे जिस्म

शीत की ठंडी दोपहर में 
जब.... सूरज की किरणे जिस्म को आकार छूती है। 
लगता है। मां ने रखा हाथ माथे पर। 
तकलीफ़ तब...., सबसे ज्यादा मजबूर होती है। 
पल भर के लिए ही सही। 
पल भर के लिए...... थकान बहुत दूर होती है। 👀

©एक शायर #sunraysn
शीत की ठंडी दोपहर में 
जब.... सूरज की किरणे जिस्म को आकार छूती है। 
लगता है। मां ने रखा हाथ माथे पर। 
तकलीफ़ तब...., सबसे ज्यादा मजबूर होती है। 
पल भर के लिए ही सही। 
पल भर के लिए...... थकान बहुत दूर होती है। 👀

©एक शायर #sunraysn