अंधाधुंध जिंदगी बस जिये जा रहे हैं मद्धम२ ज़हर पिये जा रहे हैं कर्ज़ पहले का चुकाया भी नहीं फिर एक नया कर्ज़ लिए जा रहे हैं पुराण दाग जिस्म से धूला ही नहीं फिर कोई कर्म ऐसा किये जा रहे हैं जिंदगी ने हमें कुछ दिया ही नहीं और सांसे ब्याज़ में सब कुछ छीने जा रही है अज़ीब किस्सा है जिंदगी पाया ही नही और सब कुव्ह खोये जा रहे हैं