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घरेलु हिंसा 👧 🍂 जवान होती नहीं , कर दी जाती हैं

घरेलु हिंसा 👧 🍂

जवान होती नहीं ,
कर दी जाती हैं लड़कियाँ !

उम्र से पहले,
खुद के हीं घर में ,
हुस्न के दलाल से ,
अपने हीं रिश्तेदार से !

बोल नहीं पाती कुछ 
क्योंकि वो तो अपने हैं ,
जिस्म का बाजार सजा है
खरीददार भी अपने हैं !

तीखी नजर सीधे 
तन पे बार कर जाती है ,
घर के चारदिवारी में
अस्मत लूटी जाती है !

कुछ होते हैं हितेषी ,
तो कुछ खुद को रिश्तेदार कहते हैं !
ये मत पहनो, वहां ना जाओ ,
गले से लगा, फिर प्यार करते हैं !

हवस जब मिटता नहीं 
गुड़िया कह पास बुलाते हैं ,
बिटिया रानी, लाडो बहन कह 
हाथ योनि पे रख सहलाते हैं !

वक्ष तो दीखते नहीं ,
बदन सहला प्यार करते हैं ,
जांघो के बीच अंगुली रख
लिंग से प्रहार करते हैं !

चीख निकल जाती है जब ,
नन्ही योनि छिद्र में अंगुली कर जाते हैं !
लिंग को, गुड़िया के हाथों से घर्षण करवाते
जब तक वीर्य स्खलित नहीं हो जाते हैं !

गुड़िया रो जाती है बहुत 
उस असहनीय दर्द से ,
ख़ुशी मिलता है रिश्तेदार को,
वीर्य निकल जाने के चरमोत्कर्ष से !

बोल नहीं पाती कुछ 
सोच ये तो अपने रिश्तेदार हैं ,
क्या गलत था क्या सही है, 
ये तो मेरे अपने पालनहार हैं !

जवान थी नहीं ,कर दी गई 
जीवन भर ये कसक रहता है ,
अपने ही बन गए थे भक्षक
सोच के दिल हर बार रोता है ।

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनाँक: 23-09-2020

©Raj Kishor Verma ✍️ घरेलु हिंसा 🍁
#shadesoflife
घरेलु हिंसा 👧 🍂

जवान होती नहीं ,
कर दी जाती हैं लड़कियाँ !

उम्र से पहले,
खुद के हीं घर में ,
हुस्न के दलाल से ,
अपने हीं रिश्तेदार से !

बोल नहीं पाती कुछ 
क्योंकि वो तो अपने हैं ,
जिस्म का बाजार सजा है
खरीददार भी अपने हैं !

तीखी नजर सीधे 
तन पे बार कर जाती है ,
घर के चारदिवारी में
अस्मत लूटी जाती है !

कुछ होते हैं हितेषी ,
तो कुछ खुद को रिश्तेदार कहते हैं !
ये मत पहनो, वहां ना जाओ ,
गले से लगा, फिर प्यार करते हैं !

हवस जब मिटता नहीं 
गुड़िया कह पास बुलाते हैं ,
बिटिया रानी, लाडो बहन कह 
हाथ योनि पे रख सहलाते हैं !

वक्ष तो दीखते नहीं ,
बदन सहला प्यार करते हैं ,
जांघो के बीच अंगुली रख
लिंग से प्रहार करते हैं !

चीख निकल जाती है जब ,
नन्ही योनि छिद्र में अंगुली कर जाते हैं !
लिंग को, गुड़िया के हाथों से घर्षण करवाते
जब तक वीर्य स्खलित नहीं हो जाते हैं !

गुड़िया रो जाती है बहुत 
उस असहनीय दर्द से ,
ख़ुशी मिलता है रिश्तेदार को,
वीर्य निकल जाने के चरमोत्कर्ष से !

बोल नहीं पाती कुछ 
सोच ये तो अपने रिश्तेदार हैं ,
क्या गलत था क्या सही है, 
ये तो मेरे अपने पालनहार हैं !

जवान थी नहीं ,कर दी गई 
जीवन भर ये कसक रहता है ,
अपने ही बन गए थे भक्षक
सोच के दिल हर बार रोता है ।

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनाँक: 23-09-2020

©Raj Kishor Verma ✍️ घरेलु हिंसा 🍁
#shadesoflife

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