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White रईसी का गुमान आज अपनी इस रईसी पर गुमान किय

White 
रईसी का गुमान

आज अपनी इस रईसी पर गुमान किया करते हो,
     और हमें सदा अपमान ही दिया करते हो।
लगता है तुम्हें तुम रहोगे अपने ही हाल में सदा,
और हमारी दरिद्रता भी कभी साथ न छोड़ेगी।
   इक दिन ज़रूर ये सब नहीं रहेगा,
     तुम  भले ही रहो अपने इसी हाल में 
लेकिन हमारा जरूर वक्त बदलेगा।
उस रोज़ तुम्हारा हृदय अवश्य आराम पाएगा,
   फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आयेगा।
  
हमसे कोई भी नाता न रखने की चाहत है तुम्हारी,
    तुम्हारे इस अंदाज़ से हृदय ही नहीं,
      देह भी आहत है हमारी,
  तुम हर दफ़ा दूरियां ही खोजते हो हमसे,
  शायद सोचते हो कि कोई गंदी बू आती है हमारे तन से।
तुम्हारा बनाया ये फासला सदा के लिए न रह पाएगा,
  फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा।

  दिखावे के लिए तुम जरूर इक साथी भी बन जाओगे,
    भीतर से कभी कोई अपनेपन का भाव न बुन पाओगे।
तुम्हारा ये रईसाना इस झूठे नाते को भी न रहने देगा,
  हर मोड़ पर कैसे हमारा ये मन तुम्हारे इस दंभ के कांटे को सहने देगा?
    इक रोज़ अवश्य तुम्हारे इस दर्प की शमा बुझ जायेगी,
    उसी दिन से तुम्हारे मन की मदमस्तता भी शायद रुक जाएगी ।
      अमीरों की सूची में हमारा भी इक नाम आएगा,
      फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा।

©D.R. divya (Deepa) #Moon #kvita #poeatry #Shayar #write #writing #thought
White 
रईसी का गुमान

आज अपनी इस रईसी पर गुमान किया करते हो,
     और हमें सदा अपमान ही दिया करते हो।
लगता है तुम्हें तुम रहोगे अपने ही हाल में सदा,
और हमारी दरिद्रता भी कभी साथ न छोड़ेगी।
   इक दिन ज़रूर ये सब नहीं रहेगा,
     तुम  भले ही रहो अपने इसी हाल में 
लेकिन हमारा जरूर वक्त बदलेगा।
उस रोज़ तुम्हारा हृदय अवश्य आराम पाएगा,
   फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आयेगा।
  
हमसे कोई भी नाता न रखने की चाहत है तुम्हारी,
    तुम्हारे इस अंदाज़ से हृदय ही नहीं,
      देह भी आहत है हमारी,
  तुम हर दफ़ा दूरियां ही खोजते हो हमसे,
  शायद सोचते हो कि कोई गंदी बू आती है हमारे तन से।
तुम्हारा बनाया ये फासला सदा के लिए न रह पाएगा,
  फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा।

  दिखावे के लिए तुम जरूर इक साथी भी बन जाओगे,
    भीतर से कभी कोई अपनेपन का भाव न बुन पाओगे।
तुम्हारा ये रईसाना इस झूठे नाते को भी न रहने देगा,
  हर मोड़ पर कैसे हमारा ये मन तुम्हारे इस दंभ के कांटे को सहने देगा?
    इक रोज़ अवश्य तुम्हारे इस दर्प की शमा बुझ जायेगी,
    उसी दिन से तुम्हारे मन की मदमस्तता भी शायद रुक जाएगी ।
      अमीरों की सूची में हमारा भी इक नाम आएगा,
      फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा।

©D.R. divya (Deepa) #Moon #kvita #poeatry #Shayar #write #writing #thought
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Deepa Ruwali

Bronze Star
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