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अभी चांद बनके वो आया कहां है। नज़र का वो टीका लगा

अभी चांद बनके वो आया कहां है।

नज़र का वो टीका लगाया कहां है।

खलिश ये दिलों की हदें कर रही है

अभी उसने पर्दा उठाया कहां है..

हवाएं भी महके जरा नाम सुनकर 

अभी इत्र उसने लगाया कहां है..

ये  दरिया नशे में मचल सा रहा है

अभी उसने पूछो नहाया कहां है..

बहारों में कैसी अजब सी है रंगत 

अभी उसको हमने सजाया कहां है..

शिकंजे में उसके फसा जा रहा हूं

अभी जाल उसने बिछाया कहां है..
✍️अंजना जैन

©Anjana Jain #Affection #gazals #shayaari #shyari #anjanaapoetry
#romenric#lovegazal
अभी चांद बनके वो आया कहां है।

नज़र का वो टीका लगाया कहां है।

खलिश ये दिलों की हदें कर रही है

अभी उसने पर्दा उठाया कहां है..

हवाएं भी महके जरा नाम सुनकर 

अभी इत्र उसने लगाया कहां है..

ये  दरिया नशे में मचल सा रहा है

अभी उसने पूछो नहाया कहां है..

बहारों में कैसी अजब सी है रंगत 

अभी उसको हमने सजाया कहां है..

शिकंजे में उसके फसा जा रहा हूं

अभी जाल उसने बिछाया कहां है..
✍️अंजना जैन

©Anjana Jain #Affection #gazals #shayaari #shyari #anjanaapoetry
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Anjana Jain

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