अब ज़रूरी हो गया राहें बदलना... ख़ुद खड़े रहना अकेले है संभलना !! राह को हमवार करना ख़ुद-ब-ख़ुद हीं... और ख़ुद ही वक़्त के साँचे में ढ़लऩा !! भीख में क्या माँगना, कोई मुहब्बत... जिस तरह हो ख़ुद के ही पैरों से चलना !! दम बख़ुद आज़ाद हैं अपने जहांँ में... दम बख़ुद छोड़ेंगे गैरों पै मचलना !! दूसरों के दिल पै क्यूँ पाबंदियां हों... ख़ुद भी आँखों को नहीं रो के मसलना ।। #संभलना_जरा #मचलना_ज़रा #चलन #हिंदीqoutes #हिंदीशायरियां #हिन्दी_काव्य_कोश #हिन्दीशायरी #हिंदीमेरीभाषा