जब तलक तू आएगा शाम ढल चूकी होगी जख्म-ए-दिल पे ये दुनियाँ खार मल चुकी होगी कहने वाले कहतें हैं मुझसे सुन ले ए पागल भूल जा कि वो हमदम अब बदल चुकी होगी तुम तपिश मोहब्बत की जब तलक बुझाओगे रात रौशनी तब-तक सब निगल चुकी होगी कर रहे हो देरी पर लौट के जब आओगे जिस्म से मेरे हमदम जां निकल चुकी होगी ख्बाब़ कल कमाल आया तुम कहाँ पे खोए हो तुमसे मिलने को घर से वो निकल चुकी होगी #yqdidi Yqbhaijani जब तलक तू आएगा शाम ढल चूकी होगी जख्म-ए-दिल पे ये दुनियाँ खार मल चुकी होगी कहने वाले कहतें हैं मुझसे सुन ले ए पागल भूल जा कि वो हमदम अब बदल चुकी होगी तुम तपिश मोहब्बत की जब तलक बुझाओगे