है रात अंतिम ये अंतिम प्रहर है जय हो या पराजय अब कैसा डर है है कत्ल ए रात ये ,और भयावह कहर है हैं सुनसान सङकें,ये गुमनाम शहर हैंं है रात अंतिम ये अंतिम प्रहर है।। ©Vishal Chaudhary #है रात अंतिम