दीप भी जलाऊँगा कृष्णा तुझे नमन भी करुँगा माला भी फेरुँगा कान्हा तेरा स्मरण भी करूंगा। सुख आयें या आएं दुख की घड़ियाँ मेरे गोविंद बिना विचलित हुए मोहन तेरा भजन भी करुँगा। तेरे दीदार के सिवा हरि मेरी कोई भी खवाहिश नहीं जो कुछ भी दिया है तुमने बाँके सब तुझे अर्पण भी करुँगा। बस तेरी ही छवि बनी रहे हृदय में मेरे मुरारी तेरे नाम से केशव मैं ऐसा अपना मन दर्पण भी करुँगा। वासुदेव तेरी बनाई दुनिया में सिर्फ अपने लिए जीते हैं खुदगर्ज लोग। मैं राधा मीरा सा दीवाना माधव तेरे लिए जीऊँगा और तेरे लिये यकीनन ही मरूँगा। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ कृष्ण वंदन