सहे वेदना ख़ामोशी से हर पल भारतीय नारी, कह नहीं पाये लज्जा की मारी ये समझती घर की जिम्मेदारी।। रहे सदा खामोश अपने हर गम को रही छुपाती, अपनों की खातिर ही देखो कितने दुःख है उठाती।। नारी का अंतस कोमल और कोमल सब व्यवहार है, नारी से वजूद सबका और सकल जगत संसार है।। नर नारी में भेद ना समझो ना करो अनादर इसका, इससे ही पहचान हमारी करो मान सब इनका।। स्वरचित योगी रमेश कुमार नारिशक्ति