मुक्कमल इश्क़ की चाह थी पर मुझमें मै खुद बाकी ना रही बाकी रही तो तनहाईयों की बेडिया जैसे पैमाने में जाम साकी ना रही लबों पे हसी बेपरवाह हुआ करती थीं अब तो लबों पर हसी बाकी ना रही आसमां अधूरा जैसे चांद के बिना अधूरी चांदनी भी आसमां में आती जाती ना रही गुस्ताखियां अपनों से की थी हमने उनकी खातिर अब तो रिश्तों में भी वो मिठास बाकी ना रही सजना संवरना भूल गई हो क्या इशू?? पहले वाली नूर तुम्हारे चेहरे पर बाकी ना रही ishu....... #nojoto hindi#nojoto shayri#ishq