तेरी जुल्फ मैं कसम से बादल छिपे हुए है, मुझ जैसे जाने कितने पागल छिपे हुए है, क्यों जुल्म ढा रही हो यह छेड़ कर तराना , इस भीड़ मैं बहुत से घायल छुपे हुए है, ओं जवान धडकनों तुम मेरा सलाम लेना, सीखा नहीं है मैंने हाथो मे जाम लेना, फिर भी बहुत है भटकन इस प्यार की डगर मैं, कहीं मैं फिसल न जाऊ मेरा हाथ थाम लेना! hardik