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पिंजरे में कैद सी जिंदगी.. पंख होते हुए भी कुतर दि

पिंजरे में कैद सी जिंदगी.. पंख होते हुए भी कुतर दिए गए

कितने ही अरमान दिल के अंदर दब गए होंगे...जिम्मेदारियों के बोझ तले

उन औरतों के कंधे कितने मजबूत होंगे

जो अपने अरमानों का गला घोंट मुस्कुराती नजर आती है

क्या उनको परिपूर्ण होने का अधिकार नहीं

किस गुनाह की सजा है ये,  इस दुनिया में कौन पाक है

भगवान पर भी कीचड़ उछले हैं

एक जिंदगी मिली है वो भी जी नहीं और फिर मौत तो सच्चाई है

अगले जनम का कोई लेखा जोखा नहीं 

फिर जिंदगी क्यों नहीं जीने देते लोग

और वो स्त्रियां भी जिंदगी क्यों नहीं जीती

क्या लोगों ने छोड़ी है अपनी जिंदगी उनके लिए

किस डर से नहीं जीती वो स्त्रियां  निर्णय क्यों नहीं लेती वो स्त्रियां, 

अपने अनमोल जीवन के लिए... अपने सपनों के लिए....

©Swati kashyap
  #कुछस्त्रियां#Woman