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लोग प्यासे हैं लड़खड़ाना नहीं ये दिल आईना है दिखान

लोग प्यासे हैं लड़खड़ाना नहीं
ये दिल आईना है दिखाना नहीं
चौखट के बाहर बहुत कुछ है
व्यर्थ का कहीं जगमगाना नहीं
लोग प्यासे हैं...
तुम खुद में एक सागर सा हो
कभी नदियों के पास जाना नहीं
यह सारा जगत ही मिथ्या है
ठोकरों से कभी घबराना नहीं
लोग प्यासे हैं...
गम को पीना भी एक कला है
हर दर पे अश्क को बहाना नहीं
लोग समझाते कम हंसते ज्यादा हैं
भरोसे की ज्योति "सूर्य" बुझाना नहीं

©R K Mishra " सूर्य "
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