तेरी आँखों के सागर किनारे, मैं टहल रहा हूँ, तू रूख से हटाए जा जुल्फ, मैं बहल रहा हूँ, तूने आँखों में सजाया नीलम, मैं पिघल रहा हूँ, तेरे होठ पे ये तिल, मैं मचल रहा हूँ, तेरे सीने का उठना गिरना, मैं दहल रहा हूँ, ये सब भूलने लगा गो, मैं संभल रहा हूँ। #tumaurkavita #कविता #आँखे #मेरिकहानी