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मोह का बंधन हमें आंतरिक रूप से कमजोर करता है अत्यध

मोह का बंधन हमें आंतरिक रूप से कमजोर करता है अत्यधिक मोह में डूबा हुआ व्यक्ति अच्छे और बुरे के बीच का अंतर समझ नहीं पता मुंह और आसक्ति एक दूसरे के पूरक है किसी व्यक्ति अथवा वस्तु से मोह हमें दुख देता है मोह के अधीन कोई व्यक्ति जाल में फंसी मछली के समान हो जाता है मुंह से जुड़ी इच्छा पूर्ति के अभाव में वह केवल तड़पता रहता है स्मरण रहे कि सांसारिक वस्तुएं और संबंध सब अस्थाई है उनका निश्चित है

©Ek villain मुंह में बंधा व्यक्ति
मोह का बंधन हमें आंतरिक रूप से कमजोर करता है अत्यधिक मोह में डूबा हुआ व्यक्ति अच्छे और बुरे के बीच का अंतर समझ नहीं पता मुंह और आसक्ति एक दूसरे के पूरक है किसी व्यक्ति अथवा वस्तु से मोह हमें दुख देता है मोह के अधीन कोई व्यक्ति जाल में फंसी मछली के समान हो जाता है मुंह से जुड़ी इच्छा पूर्ति के अभाव में वह केवल तड़पता रहता है स्मरण रहे कि सांसारिक वस्तुएं और संबंध सब अस्थाई है उनका निश्चित है

©Ek villain मुंह में बंधा व्यक्ति
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Ek villain

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मुंह में बंधा व्यक्ति #Society