सियासी खयालात नहीं मिलते तो क्या? इसी दौर हालात नह

सियासी खयालात नहीं मिलते तो क्या?
इसी दौर हालात नहीं मिलते तो क्या?
जज्बाती है वो भी,
     जज़्बात नहीं मिलते तो क्या?
रूठा है वो, मेरे मन भी कुछ मुटाव,
बनाव समझो, है भी कुछ दिल में लगाव,
तनाव काबू में है,
दिन -रात नहीं मिलते तो क्या?
शिकवे रुखसत हैं, रुसवा होना न तौर,
रहना है यहीं पे रिश्ते के ही ठौर,
न ठांव खोना है 'चुप' ,
नग्मात नहीं मिलते तो क्या?

©BANDHETIYA OFFICIAL #रिश्ते #सियासी 

#Morning
सियासी खयालात नहीं मिलते तो क्या?
इसी दौर हालात नहीं मिलते तो क्या?
जज्बाती है वो भी,
     जज़्बात नहीं मिलते तो क्या?
रूठा है वो, मेरे मन भी कुछ मुटाव,
बनाव समझो, है भी कुछ दिल में लगाव,
तनाव काबू में है,
दिन -रात नहीं मिलते तो क्या?
शिकवे रुखसत हैं, रुसवा होना न तौर,
रहना है यहीं पे रिश्ते के ही ठौर,
न ठांव खोना है 'चुप' ,
नग्मात नहीं मिलते तो क्या?

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