श्रमिक का योगदान श्रमिक के श्रम से यह जमाना ठाठ से खड़ा, ऊंची ऊंची इमारतों पर इठलाता रहा बड़ा। श्रमिक के श्रम से चमचमा रही लंबी सड़कें, श्रमिक के खून पसीने से बांध भरे बड़े बड़े। इनके बल पर ही चलते कल कारखाने सारें, इनके दम पर ही मोड़ें हमने नदियों के धारे। विकास क्रांति की बलि चढ़ें कितने श्रमिक, निर्माण मार्ग पर पीड़ा वेदना सही मार्मिक। विकाश की धारा में श्रम बहाया तन मन से, रक्त से बहते घावों को भरा बिना मरहम से। रोटी कपड़े के लिए खूब भाया खून पसीना, श्रमदान से न मिल पाया इन्हे सुख कभी ना। जग की नज़रों ने किया सदैव इन्हे अनदेखा, भूख,निर्धनता,बीमारी का नहीं लिखा लेखा। इनके हक के धन को भी गैरो को है परोसा, ईश्वर से भी उठ चुका अब तो इनका भरोसा। इनको परिश्रम का मिलता सही मोल नहीं है, जबकि शारीरिक श्रमसे अमूल्य कुछ नही है। JP lodhi #श्रमिक का योगदान #Nojoto