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झूठ, फ़रेबी, मक्कारी की दुकान में क्या रक्खा है, पढ़

झूठ, फ़रेबी, मक्कारी की दुकान में क्या रक्खा है,
पढ़ने वाले आँखे पढ़ न, ज़बान में क्या रक्खा है।

अम्न की बातें करने वाले हमको ख़ूब पता है,
सबसे छिपा के तूने भी म्यान में क्या रक्खा है।

ये तो वो.. है जिसके होने से सब कुछ अच्छा है,
वरना ये भी सोच फ़क़त इंसान में क्या रक्खा है।

चार दिवारी में छिपकर कुछ तो एहसास हुआ होगा??
जा पूछ ए शख़्स परिंदे से *ज़िंदान में क्या रक्खा है!
*ज़िंदान - prison, पिंजरा

घर ये मेरा, घर है... इक तेरे होने से ही माँ,
तेरे बिन बस पत्थर, ईंट मकान में क्या रक्खा है।

मेरी जान को अपनी जान बताता है वो अक्सर,
और परीशां हूँ मैं आख़िर जान में क्या रक्खा है?? एक ग़ज़ल...

#ghazalgo_fakeera #anshrajora #fakeera_series #yqbaba #yqdidi #ghazal
झूठ, फ़रेबी, मक्कारी की दुकान में क्या रक्खा है,
पढ़ने वाले आँखे पढ़ न, ज़बान में क्या रक्खा है।

अम्न की बातें करने वाले हमको ख़ूब पता है,
सबसे छिपा के तूने भी म्यान में क्या रक्खा है।

ये तो वो.. है जिसके होने से सब कुछ अच्छा है,
वरना ये भी सोच फ़क़त इंसान में क्या रक्खा है।

चार दिवारी में छिपकर कुछ तो एहसास हुआ होगा??
जा पूछ ए शख़्स परिंदे से *ज़िंदान में क्या रक्खा है!
*ज़िंदान - prison, पिंजरा

घर ये मेरा, घर है... इक तेरे होने से ही माँ,
तेरे बिन बस पत्थर, ईंट मकान में क्या रक्खा है।

मेरी जान को अपनी जान बताता है वो अक्सर,
और परीशां हूँ मैं आख़िर जान में क्या रक्खा है?? एक ग़ज़ल...

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