मेरी प्यारी सी इक भैंस, सबको नाच नचाती है; चारा तो कम खाती है, पर दाना खूब चबाती है| भैंस तो एक भैंस है भैय्या, चारा तो नेता खाते हैं; भैंसों के चक्कर में भैय्या, खुबहि माल कमाते हैं| नेता तो खैर नेता हैं, हम अपनी बात बताते हैं; सुबह-सुबह उठकर पापा मेरे, अपनी भैंस का दूध निकालते हैं| दूध भैंसिया का पीकर , हम सेहत अपनी बनाते हैं; बदले में हम उसको दना चारा, बहुतहि खूब खिलाते हैं| मानुष तो मानुष है, उसने क्या उपकार किया; पूछो इन बेजुबानों से, जिसने मानव पर परोपकार किया| सीख हमें इन भैंसों और, बेजुबानों से लेनी चहिये, कितना भी परोपकार करो, किसी से उपेक्षा मत रखनी चहिये| *Umakant Banswar #weather #lover of nature