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वो चीढ़ों की हवा... संभल के चलना तुम रास्तों में

वो चीढ़ों की हवा...

संभल के चलना तुम रास्तों में कहीं कोई पगडंडी
तुम्हें वहीं अपना बना कर न रख ले
कोई लट किसी बेल की थाम कर तुम्हारा हाथ
तुम्हें अपने आग़ोश में न ले ले 
ये क़ुदरत चीज़ ही ऐसी है, लुभाती है, बहलाती है,
ये वो अप्सरा है कि जो मोहित करती है, तुम्हें, 
और तुम जैसे न जाने कितने मासूमों को, 
लाड़ लड़ाती है, दुलार देती है, पुकारती है,
कभी माँ सी ममता जताती है, कभी तुम्हारी माशूक़ा सी नख़रे दिखाती है
वहाँ पहाडों में, वादियों की ज़ीनत, 
तुम्हें कभी तन्हा नहीं रहने देगी कि तुम सोच न सको मेरे बारे में
पर मुझसे किया वायदा भूल न जाना तुम
नशे और रात की ओट ले कर,
चले जाना उस नींद से मिलने,
नींद मेरी बहुत अच्छी सहेली है
जो तुम्हें ख़्वाबों के संदूक में छिपा देगी
जहाँ तुम्हें मिल जाएँगी मेरी बातें, मेरी यादें, 
जो मैंने बड़े चाव और प्रेम-भाव से तुम्हारे लिए संजो कर रखी थी
तुम्हारे दिल की डायरी में गुलाब के फूल के साथ "वो चीढ़ों की हवा..." - 2

#nojoto #love #nojotohindi #nojotopoetry #Aavaaraa #poetry #kavita #thoughts
वो चीढ़ों की हवा...

संभल के चलना तुम रास्तों में कहीं कोई पगडंडी
तुम्हें वहीं अपना बना कर न रख ले
कोई लट किसी बेल की थाम कर तुम्हारा हाथ
तुम्हें अपने आग़ोश में न ले ले 
ये क़ुदरत चीज़ ही ऐसी है, लुभाती है, बहलाती है,
ये वो अप्सरा है कि जो मोहित करती है, तुम्हें, 
और तुम जैसे न जाने कितने मासूमों को, 
लाड़ लड़ाती है, दुलार देती है, पुकारती है,
कभी माँ सी ममता जताती है, कभी तुम्हारी माशूक़ा सी नख़रे दिखाती है
वहाँ पहाडों में, वादियों की ज़ीनत, 
तुम्हें कभी तन्हा नहीं रहने देगी कि तुम सोच न सको मेरे बारे में
पर मुझसे किया वायदा भूल न जाना तुम
नशे और रात की ओट ले कर,
चले जाना उस नींद से मिलने,
नींद मेरी बहुत अच्छी सहेली है
जो तुम्हें ख़्वाबों के संदूक में छिपा देगी
जहाँ तुम्हें मिल जाएँगी मेरी बातें, मेरी यादें, 
जो मैंने बड़े चाव और प्रेम-भाव से तुम्हारे लिए संजो कर रखी थी
तुम्हारे दिल की डायरी में गुलाब के फूल के साथ "वो चीढ़ों की हवा..." - 2

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