माँ कहाँ...?? मेरे शब्दो में समाहित हो पाती .. संघर्ष, त्याग, प्रेम, मेहनत, ममता, कर्त्तव्य परायण, उच्च आदर्श, निर्भीक, ईमानदारी,सच्चाई, दया की मूरत शब्द मेरे सीमित और तुम असीमित अनन्त... बंधन नही तुम एक दिन का ना दूर से, ना नजदीक से भला बांध पाया कोई तेरे स्नेह की डोर को... दुःख के बेरंग आँसू सुख की उजली धुप पाती सकुन तेरे ही निर्मल गोद में... पाई दुनियॉ की पूरी दौलत तेरे ही ममता की छांव में सब फीका हैं तेरे मीठे दो बोल के आगे... मिले जब भी जन्म गोद हो तुम्हारी छांव भी तुम्हारी ममता भी तुम्हारी सर पर हाथ भी तुम्हारा हो समझो इच्छा या स्वार्थ एक बेटी का.. बहुत कुछ लिखा जा चुका तुम पर बहुत कुछ लिखना बाकि लेकिन फिर भी नही कर पाये ये परिभाषा पूरी.. धन्यवाद🙏🙏 🌷सुमन कुमावत🌷 # माँ मेरी माँ