जमाने से रुसबा वो हर इक सख़्स है। जिसके सर पे तानों का दरख़्त है। वो जमाने में फ़ौलाद सा दिख रहा है, जिसको कठिनाईयों के द्वारा बनाया गया है। हंसता वही है जिसको रुलाया गया है...... जब अपने भी पराए होने लगेंगे, बुरा वक्त खुद का कहने लगेंगे। चुभेगा तो वो सख्स़ जमाने को हर पल, जिसको कांटों से ही सजाया गया है। हंसता वही है जिसको रुलाया गया है....... तुझको इल्ज़ाम हर कोई देने लगेगा। जब तू खुद को जमाने में कहने लगेगा। वही सख्स़ झूठ बोलता है हर दम, जिसको सब कुछ सच बताया गया है। हंसता वही है जिसको रुलाया गया है....... ©नितीश निसार #हसना