इज्जतों में फर्क यहां, नीति का बेड़ा गरक है, तू भग्वा है! तू है, हरा! तू अपना है, तू है, मेरा! मौत का नंगा नाच यहां, कातिलों को छूट है, ये मेरा हिंदुस्तान नहीं, "कोई कह दो ये जूठ है" देवी बनी जो गाय यहां, फिर निर्भया सी हाय कहां? सुनता नहीं! या बेहरा है तू? मैं कब से चीख कह रहा हूं। नारी पर होती ज्यादती, है दिन ब दिन बढ़ रही, लड़ती हुई, बहने मेरी, है मौत भेंट चढ़ रही, तेज़ाब का शिकार कोई, तो कोई ज़हर का पीती घूंट है, ये मेरा हिंदुस्तान नहीं, "कोई कह दो ये जूठ है" This Needs To Be Shared.