... Greatness of lines.... "अब तो पथ यही है" कहने का तरीका देखिए! कैसे ढाल लिए अपने को हर प्रकार की समस्याओं के लिए जीवन में यह लचीलापन साधना बहुत कठिन है, पर दुष्यंत जी के मुताबिक सहर्ष स्वीकार लिया कि अब तो पथ यही है, तो फिर आनंद ही आनंद है। इसी से मिलते जुलते भाव कुछ गजानन माधव 'मुक्तिबोध' ने भी व्यक्त किये थे "जिंदगी में जो कुछ भी है जो भी है, सहर्ष स्वीकारा है