सुनो कहानी अभी अधूरी ही थी एक अध्याय तो बनने देते मेरे दिल में अभी भी कुछ खालीपन सा लम्हा ठहरा हुआ था उस खाली जगह में तुम अपनी यादें छोड़ देते ... मांगा नहीं तुमसे कुछ मैंने कभी बनके ख़्वाब हक़ीक़त में तुम शामिल होते नाराज़ रहता है आज भी दिल अपनों के महफ़िल से काश तोड़ने के बाद मुझे फिर से जोड़ देते ..... लौट रही मैं अपनी मंजिल की ओर हौसला बढ़ाने के लिए उम्मीद बनकर सामने खड़े तुम होते सफ़र अकेले तय करने में ही अच्छा लगता है सपनों के शहर में तुम मुझे गुम रहने देते ..... _________🖤 _____________________🖤🖤 ___________🖤 सुनो कहानी अभी अधूरी ही थी एक अध्याय तो बनने देते मेरे दिल में अभी भी कुछ खालीपन सा लम्हा ठहरा हुआ था