माँ-बाप अनमोल रतन धन हैं जन्नत है इनके कदमों में जो मांगो खुशी-खुशी मिलता सबको न हो संतानों के लिए इनका कुपित मन है माँ-बाप अनमोल ________ अंधे हो गए हैं आज हम सबके नैना आप भी हो बहरे हम भी बहरे हैं ना न कदर करे कोई आज इनकी दर-बदर फेकें हर कोई इनको न इज्जत,न रोटी,न दो पल का सुकून कोई देना चाहे इन्हें