माँ-बाप अनमोल रतन धन हैं
जन्नत है इनके कदमों में
जो मांगो खुशी-खुशी मिलता सबको न हो संतानों के लिए इनका कुपित मन है
माँ-बाप अनमोल ________
अंधे हो गए हैं आज हम सबके नैना
आप भी हो बहरे हम भी बहरे हैं ना
न कदर करे कोई आज इनकी दर-बदर फेकें हर कोई इनको
न इज्जत,न रोटी,न दो पल का सुकून कोई देना चाहे इन्हें #Poetry#कविशाला#nojotokhabri#कुछपलदिलकेपास#कुछअनछुएपहलू#निश्छल#अनिल_कुमार#मां_बाप