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चाहत में इन्तेहाँ कहाँ, सिर्फ एक गुज़ारिश होती है,

चाहत में इन्तेहाँ कहाँ,
सिर्फ एक गुज़ारिश होती है,
पूरा करो या यूं ही अधूरा कारवां रहने दो,
चाहत में फ़साना कहाँ,
सिर्फ लम्हों का सिलसिला होता है।

©Prashant Roy
  चाहत SHAHID HAROON Abdullah Qureshi Rakesh Srivastava Suruchi Roy