वो सुबह कब आएगी जब बिन डरी बिन सहमी बिन सकुचाए बिन घबराए बिन आँख झुकाए बेटी अपने रस्ते जाएगी वो सुबह कब आएगी बेटी बचाने से बेटी पढ़ाने से क्या बस दिखाने से बुरे नज़रों के खंजर से वो बच निकल पायेगी वो सुबह कब आएगी कठुआ और उन्नाव में हर नगर हर गाँव में घर की बेटी घर की लक्ष्मी कब तक समाज के अनैतिक तत्वों से कुचली जाएगी वो सुबह कब आएगी बेटी को मत दबाओ बेटों को अब समझाओ मन में नारी के लिए समता और सहिष्णुता जब तक उनके न आएगी वो सुबह कभी न आएगी ..... राजनेताओं जागो बेटियों से क्षमा मांगो ये वक़्त सोनेका नहीं सख्त कानून की मांग जब तक न मानी जाएगी वो सुबह कभी न आएगी अगर ये देश ऐसे इन्साफ नहीं करेगा बेटियों का लहू इसे माफ़ नहीं करेगा...... #वो सुबह कब आएगी