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कोई तेरे घर से गुजरता है तो ख़्याल आता हैं ख्वाईश-ए

कोई तेरे घर से गुजरता है तो ख़्याल आता हैं
ख्वाईश-ए-आलम लूटने जैसे कोई जलाल आता है,
लाजमी है गर्दीश मेरी दरवाज़े से उस पार जाने कि,
मेरी उम्मीद ,तेरी ख़्वाईशो के बीच तेरे घर का पहरेदार  जो आता है।
(गर्दीश-परेशानी) घड़ी इन्तजार की ............ 
p.02
कोई तेरे घर से गुजरता है तो ख़्याल आता हैं
ख्वाईश-ए-आलम लूटने जैसे कोई जलाल आता है,
लाजमी है गर्दीश मेरी दरवाज़े से उस पार जाने कि,
मेरी उम्मीद ,तेरी ख़्वाईशो के बीच तेरे घर का पहरेदार  जो आता है।
(गर्दीश-परेशानी) घड़ी इन्तजार की ............ 
p.02

घड़ी इन्तजार की ............ p.02