चूम चुका चाँद चैन नहीं है नयी सुबह है; रैन नहीं है फिर भी भूमिका भूमि की कविता की क्या थी, सब अब आभास हुआ है क्योंकि कविता रहती थी नजदीकी नक्षत्र पर पृथ्वी का पर्याय और है जो अब 'भूमि' का पर्याय। इस प्रकार प्यार की प्रतिमा कविता की यादों ने नोजोटो के यान से मिलाया, जिसने यहाँ तक पहुँचाया स्मार्टफोन की दुकान और डैटा के टिकट से पहुँचा परन्तु चैन नहीं है, नींद के पास नैन नहीं है नयी सुबह है; रैन नहीं है क्योंकि कल्पना से बाहर ज्यादा रैन है यहाँ तो दो बज चुके हैं, कई शब्द अलंकार में सज चुके हैं। यद्यपि कल्पना की कायनात में अनजान स्थान पे सुबह से मुलाकात है पर यहाँ सुबह नहीं रैन अर्थात् रात है। अलविदा!! ...by Vikas Sahni #Choom #Chuka #Chaand ...by Vikas Sahni