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#बेइंतहा कभी बेइंतहा रौशनी, कभी हवाओं से जुझती


#बेइंतहा 

कभी बेइंतहा रौशनी,
 कभी हवाओं से जुझती हुई
लाखों हजारों ख्वाहिशों के बीच
जलती है समा इस अनमोल जिंदगी की..
इस जिंदगी के सामने क‌ई मुश्किलें,
बेइंतहा दर्द, बेपनाह यंत्रणा
किसी को कह सकते हैं
न कोई समझ सकता है
इन सभी को मुस्कुराहट के ओट में
छिपाना पड़ता है
और आगे बढ़ना होता है
अक्सर कुछ मुस्कुराते चेहरों के पीछे
ज़ख्म बहुत गहरा होता है
उस बेइंतहा हंसते चेहरे में भी
अनेक दुःख और कसाघात का
रुप दिखाई देता है..
और यार जिंदगी भी 
एक ऐसा पहेली है कि 
बेइंतहा उम्मीदों से ही
हम हमेशा आगे बढ़ते जाते हैं..

©Sandhya