हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया हमारा ही क़त्ल-ए-आम होगा हमीं कुएँ खोदते फिरेंगे हमीं पे पानी हराम होगा अगर यही ज़ेहनियत रही तो मुझे ये डर है कि इस सदी में ना कोई अब्दुल हमीद होगा ना कोई अब्दुल कलाम होगा ©Mujahid Khan हमारा ही क़त्ल-ए-आम होगा #Shayari #AzaadKalakaar