कुछ सोचूँ तो मैं लिखना भूल जाती हूँ, कुछ समझूँ तो मैं पढ़ना भूल जाती हूँ। जाने ये कैसी चिंताएं घेरे है, कुछ दोस्तों के रिश्ते की नींव गहरी है पिछले जख्मो की जलन भी खुद मिट जाती है।। Deepa Solanki #गहरी दोस्ती