शीतयुद्ध -सी यह मेरी रात, घनी अंधेरी खौफ़नाक रात, मैं इस अंधेरे से लड़ रही हूँ, मैं निरंतर संघर्ष कर रही हूँ, साहस को सरगम बना रही हूँ, संघर्ष की ज्योत जला रही हूँ, मंजिल को महबूब बना रही हूँ, हर गम उसको ही सुना रही हूँ, पराजय से खुलकर बोल रही हूँ, विश्वास की चादर ओढ़ रही हूँ, प्रस्तर-कांटों को भोर बना रही हूँ, तभी अर्जुन -सा तीर चला रही हूँ। -Vimla Choudhary 28/8/2021 ©vks Siyag #RaatKiBaat #raatboltihain #Raat #Darknight #nightquotes #nightpoem #Motivational #positivevibes