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ज़ख़्म पे ज़ख़्म खा के जी ... अपने लहू के घूँट पी

ज़ख़्म पे ज़ख़्म खा के जी ... अपने लहू के घूँट पी ,










आह न कर लबों को सी ... इश्क़ है दिल्लगी नहीं ...

©꧁ARSHU꧂ارشد
  ज़ख़्म पे ज़ख़्म खा के जी..अपने लहू के घूँट पी ..
आह न कर लबों को सी..इश्क़ है दिल्लगी नहीं..... FAKIR SAAB(ek fakir) jhanvi Singh shabnur Diksha Singh Mahi

ज़ख़्म पे ज़ख़्म खा के जी..अपने लहू के घूँट पी .. आह न कर लबों को सी..इश्क़ है दिल्लगी नहीं..... FAKIR SAAB(ek fakir) @jhanvi Singh shabnur Diksha Singh @Mahi #Shayari

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