अमूमन हम सब आसमाँ छूने का ख्वाब रखते है, असीम उचाईयों को हासिल करना चाहते है, मगर ये घर (चारदीवारी) का मोह है, की हम इसे त्यागना भी नही चाहते।
अब कोई समझाओं हमे की घर से निकले बिना आसमाँ कैसे छू पाओगे।
घर बैठे बैठे तो आसमाँ धरती पर उतर कर आएगा नहीं की, आइए जनाब! हम आपके स्पर्श के मोहताज है, हम छू दीजिए और हमे अपना नाम दे दीजिए।
ये हर किसी के मस्तिष्क में जो कपोल कल्पना है कि हम तो जन्मसिद्ध योद्धा है, ये आसमाँ तो खुद हमारे कदमो में झुकेगा, उनसे अनुरोध है एक बार ये चारदीवारी का मोह त्याग कर देखिए, वो आसमाँ और उसकी तपिश सारे भृम चूर चूर करदेगी और तुमको आभास होगा की ये राह कितनी लंबी है।