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चाँद की कश्मकश! (मनु से वार्तालाप) कभी ज़िद तेरी

चाँद की कश्मकश! (मनु से वार्तालाप) 

कभी ज़िद तेरी महबूबा से मिला दू 
कभी तुझे रात के चादर में छुपा लूं, 
कभी तारों से बेरुखी, कभी ख़ुद से लुका छिपी,
 कभी मुझ से ज्यादा मेरा दाग़ नज़र आता है। 
कभी मुझे महबूब से तोल, कभी पूस की रात से,
 मगर सब्र कर, तेरे साथ ये रात ही काम आता है।
 मै तो ठहरा ही हू, और भी खट्टे मीठे यादों के सहारे, 
आखिर हर किस्से का दर्द मुझे पहचानना आता है।

©Trisha09 चाँद की बातों का पिटारा!! 
#Moon #Night #Raat #chand #hindi_poetry #nojotohindi #hindikvita #raatkibaat #pyaar
चाँद की कश्मकश! (मनु से वार्तालाप) 

कभी ज़िद तेरी महबूबा से मिला दू 
कभी तुझे रात के चादर में छुपा लूं, 
कभी तारों से बेरुखी, कभी ख़ुद से लुका छिपी,
 कभी मुझ से ज्यादा मेरा दाग़ नज़र आता है। 
कभी मुझे महबूब से तोल, कभी पूस की रात से,
 मगर सब्र कर, तेरे साथ ये रात ही काम आता है।
 मै तो ठहरा ही हू, और भी खट्टे मीठे यादों के सहारे, 
आखिर हर किस्से का दर्द मुझे पहचानना आता है।

©Trisha09 चाँद की बातों का पिटारा!! 
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Trisha09

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