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अकेली सुनसान राहों में छोड़ हमें.. कितनी दूर चले ग

अकेली सुनसान राहों में छोड़ हमें..
कितनी दूर चले गए तुम..
तन्हा–तन्हा दिल मेरा.. तोड़ कर गए तुम..
गुनाह क्या किया समझ ना आया हमे ..
प्यार की सजा में दर्द पाया हमने..
तूफानों से लड़ आंधियों से टकराकर
 आगे बढ़ जानें की चाहत हैं...
 कितना बदल गयी.. हूं में...
बिन तेरे ठहर गयी हूं में..
तू जायेगा कही भी.. दूर 
 यादों में सिर्फ हमे ही पायेगा..
कर्मा एक दिन आपका 
लौटकर यही वापिस आयेगा!

©Monika jayesh Shah
  #Silence 
#कर्मा