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ये काफिले बादलो के अपनी ही धुन में बस चलते रहते ह

ये काफिले बादलो के 
अपनी ही धुन में बस चलते रहते है ।
अपने तन में भरकर शीतल जल ।
प्यास राहगीरों की बुझाते रहते है ॥
ना सुख दुःख का आबाश इन्हें ।
मस्त मगन होकर रिमझिम बरसते है ।
ये काफिलें बादलों के '
जब टकरातें आपस मे ये बादल काले ।
कड़क कर बिजली बन अंगारों से जलते है ।
हजारों मिल पैदल चल कर ।
जाने कहां से जल भरते हैं ॥
ये काफिले बादलों के ' ।
अपनी ही धुन में बस चलते रहते है ॥

©Shakuntala Sharma
  # ये काफिले बादलो के .

# ये काफिले बादलो के . #कविता

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