जब रिश्ते इक उम्र के ऐसे हम पड़ाव पर आ गये..! सभी तर्क - वितर्क मिरे दाव पर आ गये..!! कभी सोचा ना कि मंजर ऐसा भी होगा..! उसकी बेरुखी के झोंके घाव पर आ गए..!! उसकी दिल्लगी ने कुछ ऐसी खलल डाली..! तपती धूप के साय मिरी छाँव पर आ गए..!! उसकी लगाई आग कुछ ऐसे दहकती है..! सुलगते अंगारों के टुकड़े नाव पर आ गए..!! हमने उम्र के लिहाज़ से लिबास क्या बदला.! देखते ही देखते मिरे हाव-भाव पर आ गये..!! ना जाने क्यों खुद पर इतनी हंसी आती है..! उसके दिए हुए ज़ख्म मिरे चाव पर आ गए..!! मिरे दिल में अब कोई खलिश बाकी ना रही..! उसकी सीरत देख तेवर ताव पर आ गए..!! ©Darshan Raj #a #PoetInYou #Lihaaz #rekhta #rekhtashayari #rekhtalovers #darshan #Nojoto #gazal #ग़ज़ल Amita Tiwari Shyam Pratap Singh indira Tarani Nayak(disha Indian).